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SAIL का मैन पावर कॉस्ट सरकार ने बताया, पढ़िए कर्मचारियों ने क्या हिसाब लगाया

SAIL का मैन पावर कॉस्ट सरकार ने बताया, पढ़िए कर्मचारियों ने क्या हिसाब लगाया
  • SAIL का मैन पावर कॉस्ट (कर्मचारी तथा अधिकारी मिलाकर) प्रति टन 6372 रुपया बताया गया है।
  • 55% हिस्सा 45000 कर्मचारी पर लगभग 3510 रुपए और 45 % हिस्सा सेल के 10000 अधिकारी वर्ग पर लगभग 2862 रुपया खर्च होता है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के कर्मचारियों और अधिकारियों के मैनपॉवर कास्ट पर बड़ी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। राज्यसभा में सांसद के सवाल का जवाब इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी (Steel Minister HD Kumaraswamy) की तरफ से दिया गया है।

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SAIL का मैन पावर कॉस्ट (Man Power Cost) (कर्मचारी तथा अधिकारी मिलाकर) प्रति टन 6372 रुपया बताया गया है। इसका 55% हिस्सा 45000 कर्मचारी वर्ग पर लगभग 3510 रुपए खर्च हो रहा है। 45 % हिस्सा सेल के 10000 अधिकारी वर्ग पर लगभग 2862 रुपया खर्च होता है।

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प्रति टन स्टील के लिए सेल में मैनपॉवर लागत (Man Power Cost) पर सांसद एडी सिंह ने सवाल किया कि क्या प्रति टन इस्पात के लिए भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) की जनशक्ति लागत निजी क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक है, यदि हां, तो देश में सेल और निजी क्षेत्र की जनशक्ति लागत की तुलना का ब्यौरा क्या है? और सेल में जनशक्ति लागत को कम करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहैं और इस प्रक्रिया को पूरा करने की समय-सीमा क्या है?

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इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी (Steel Minister HD Kumaraswamy) की तरफ से जवाब दिया गया कि इस्पात संयंत्र के प्रति टन इस्पात के संदर्भ में जनशक्ति लागत उपलब्ध प्रौद्योगिकी, उत्पादन का पैमाना, तैयार उत्पाद प्रोफाइल, कच्चे माल की गुणवत्ता और लागत, आउटसोर्सिंग का स्तर आदि जैसे विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है।

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वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, सेल में जनशक्ति लागत, बिक्री योग्य इस्पात उत्पादन का 6372 रुपए प्रति टन थी। देश में निजी इस्पात क्षेत्रों से संबंधित समान जानकारी सेल या मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है।

जनशक्ति लागत में कभी एक सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है और सेल भी जनशक्ति लागत को कम करने के लिए लगातार विभिन्न पहल कर रहा है। कुछ प्रमुख पहलों में शामिल हैं।

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नई इकाइयों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का अनुकूलन।

मौजूदा पुरानी इकाइयों का उन्नयन और संवर्धन।

उत्पादन स्तर को बढ़ाना।

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ओटोमेशन स्तर को बढ़ाने के लिए उद्योग 4.0 परियोजनाओं की अवधारणा और कार्यान्वयन।

जनशक्ति का युक्तिकरण।

मानव संसाधन हस्तक्षेप के माध्यम से कर्मचारी और हितधारकों के बीच सहभागिता बढ़ाना

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