
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार एशियाई शेरों को ‘लुप्तप्राय’ श्रेणी में रखा गया है, जबकि 2008 में ये ‘गंभीर लुप्तप्राय’ श्रेणी में शामिल थे।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारत में एशियाई शेरों की संख्या बढ़ती जा रही है। अकेले गुजरात राज्य से खबर आ रही है कि यहां 15 सालों में यहां 263 एशियाई शेरों की संख्या बढ़ गई है। 2010 में 411, 2015 में 523 और 2020 में 674 शेरों की रिपोर्ट सामने आई है।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्य सभा में लिखित उत्तर में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एशियाई शेर परियोजना-प्रोजेक्ट लायन गुजरात के गिर क्षेत्र में क्रियान्वित किया जा रहा है।
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इस परियोजना में संरक्षण और पारिस्थितिकी विकास को समेकित कर गुजरात में एशियाई शेरों को क्षेत्र पारिस्थितिकी-आधार पर संरक्षित रखा जा रहा है। ‘लायन @ 47: अमृतकल विजन’ शीर्षक से तैयार प्रोजेक्ट लायन मसौदे के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
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शेरों की बढ़ती आबादी के प्रबंधन के लिए उनके अभ्यारण्यों को सुरक्षित और संरक्षित रखना
स्थानीय समुदायों का आजीविका सृजन-संरक्षण तथा पारिस्थितिकी विकास में भागीदारी बढ़ाना
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शेरों की बीमारी के निदान और उपचार पर ज्ञान का वैश्विक केंद्र बनाना
प्रोजेक्ट लायन पहल के माध्यम से समावेशी जैव विविधता संरक्षण
एशियाई शेरों की संख्या में वृद्धि का रुझान देखने को मिल रहा है। गुजरात राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में एशियाई शेरों की संख्या का ब्यौरा इस प्रकार है:
वर्ष | अनुमानित संख्या |
2010 | 411 |
2015 | 523 |
2020 | 674 |
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार एशियाई शेरों को ‘लुप्तप्राय’ श्रेणी में रखा गया है, जबकि 2008 में ये ‘गंभीर लुप्तप्राय’ श्रेणी में शामिल थे। एशियाई शेरों के संरक्षण और सुरक्षा के प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में उनकी संख्या में वृद्धि हुई है।
गुजरात राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान एशियाई शेरों के संरक्षण के लिए धन का आवंटन निम्न अनुसार है:
वर्ष | निधि आवंटन (करोड़ में) |
2021-22 | 91.03 |
2022-23 | 129.16 |
2023-24 | 155.53 |