- संयंत्र के स्थाई एवं सेवानिवृत्ति कर्मियों के बीच खुला अभियान चलाया जा रहा है कि वोट उन्हें ही दें जो हक का पैसा ना रोके।
सूचनाजी न्यूज़, भिलाई। लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) बयानबाजी को लेकर काफी सुर्खियीं में। कांग्रेस-भाजपा के बीच तीखी बहस जारी है। वहीं, सेल के भिलाई स्टील प्लांट (SAIL – Bhilai Steel Plant) के कर्मचारियों ने लाखों रुपए के नुकसान और सांसद विजय बघेल की भूमिका पर बड़ा सवाल उठा दिया है।
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संयुक्त ट्रेड यूनियनों (united trade unions) ने बोरिया गेट एवं बोरिया मार्केट में कर्मियों से मिलकर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन मांगा। इस दौरान कर्मियों ने 39 माह का एरियर्स का मुद्दा उठाया, इसके बारे में कर्मियों को संबोधित करते हुए यूनियन नेताओं ने कहा कि 39 माह का एरियर्स न मिलने से कर्मियों को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। कर्मियों को हो रहे यह लाखों रुपए का नुकसान केवल और केवल केंद्र सरकार द्वारा कर्मियों के वेतन समझौता पर थोपे गए अफॉर्डेबिलिटी क्लाज के चलते हो रहा है।
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दुर्ग लोकसभा सीट के सांसद एवं स्टील स्टैंडिंग कमेटी (Steel Standing Committee) के सदस्य विजय बघेल जी यह बताए कि जब यह क्लाज कर्मियों के वेतन समझौता पर थोपा जा रहा था, तब वह इसके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाए। क्या वे और उनकी सरकार इस्पात कर्मियों के लाखों रुपए के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं है?
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सांसद से मांग रहे जवाब…
सांसद ने एरियर्स मिलने पर लगी बंदिशें को क्यों नहीं हटवाया, जवाब दो
श्रमिक नेताओं ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) सहित पूरे सेल के अंदर वेतन समझौता 1 जनवरी 2017 सबसे लंबित है। 88 माह बीत जाने जाने के बाद भी वेतन समझौता पूर्ण नहीं किया जा सका। जहां रात्रि पाली अलाउंस हाउस रेंट अलाउंस से लेकर कुछ मुद्दों पर चर्चा कर अंतिम रूप देना बाकी है। नया वेतनमान लागू होने के बाद भी 1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2020 तक 39 महीने का एरियर्स मिलने पर लगी हुई सरकार की बंदिश को हटाने अथवा वेतन समझौता पूर्ण करने के लिए सांसद ने क्या किया?
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ग्रेच्युटी पर गरमाई सियासत…
जवाब दीजिए, क्योंकि यह 39 महीने का एरियर्स न मिलने से जहां एक तरफ संयंत्र के कर्मी परेशान है। वहीं, इन 39 महीने में सेवानिवृत्त हो चुके कर्मियों ने अपने पुराने वेतनमान पर ही अंतिम भुगतान लिए हैं।
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यदि सेवानिवृत हुए उन कर्मियों को नया वेतनमान का लाभ मिलता तो उन्हें एरियर्स के साथ साथ नए वेतनमान पर ग्रेच्युटी गणना करने पर उन्हें 5 से 15 लाख रुपए तक का फायदा हो सकता था। अर्थात उन्हें 5 से 15 लाख का नुकसान हो रहा है। यदि सांसद इन बंदिशें को हटवा देते तो स्थाई एवं सेवानिवृत कर्मियों कर्मियों को लाखों का फायदा होता
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हक का पैसा रोकने वालों को नहीं देंगे भिलाई के कर्मी वोट
सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा-संयुक्त यूनियनों ने एरियर्स एवं वेतन समझौता के लिए 88 महीने का लंबा इंतजार करने के बाद लोकसभा चुनाव में खुला ऐलान कर दिया है। भिलाई इस्पात संयंत्र बनने के बाद से लेकर 9 वेतन समझौते संपन्न हुए। किंतु किसी भी सरकार में वेतन समझौता का एरियर्स नहीं रोका। पहली बार मौजूदा केंद्र सरकार ने ऐसी ऐसी बंदिशे से लगाया है कि कर्मियों को उनके हक का पैसा भी नहीं मिल पा रहा है।
इसीलिए संयंत्र के स्थाई एवं सेवानिवृत्ति कर्मियों के बीच खुला अभियान चलाया जा रहा है कि वोट उन्हें ही दें जो हक का पैसा ना रोके।