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Bhilai Steel Plant में राजभाषा के नाम पर दिखावा, अंग्रेजी में सर्कुलर, एक पैरा नहीं समझ पा रहे कर्मी, सुविधाओं से वंचित, BSP CGM तक पहुंचा मामला

Bhilai Steel Plant में राजभाषा के नाम पर दिखावा, अंग्रेजी में सर्कुलर, एक पैरा नहीं समझ पा रहे कर्मी, सुविधाओं से वंचित, BSP CGM तक पहुंचा मामला
  • सीटू के महासचिव जगन्नाथ त्रिवेदी ने कहा कि संयंत्र में कार्यरत कर्मियों की एक दूसरे से बातचीत करने वाली भाषा हिंदी है। इसीलिए वे हिंदी को अच्छे से समझ एवं पढ़ पाते हैं।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट में राजभाषा को बढ़ावा देने के लिए खूब ढिढोरा पीटा जाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि राजभाषा को दरकिनार भी यहीं किया जा रहा है। कर्मचारियों को सीधेतौर पर संबोधित सर्कुलर हिंदी के बजाय अंग्रेजी में जारी किए जाते हैं। इसको लेकर कर्मचारियों ने आपत्ति उठानी शुरू कर दी है। कई बार शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बीएसपी के पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने सीजीएम पर्सनल को मांग पत्र सौंप दिया है।

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सीटू का कहना है कि अभी हाल में ही प्रबंधन द्वारा आवास के संबंध में लगभग 19 पेज का महत्वपूर्ण परिपत्र क्रमांक 30(CC)/2023 दिनांक 24/05/2023 को जारी किया गया है। लेकिन संयंत्र कर्मी एक पैराग्राफ भी पूरा नहीं पढ़ पा रहे हैं। इसीलए हिंदुस्तान स्टील इम्प्लाइज यूनियन (सीटू) प्रबंधन द्वारा जारी किए गए परिपत्र को हिंदी में भी जारी किए जाने की मांग करते हुए मुख्य महाप्रबंधक कार्मिक को पत्र लिखा है।

सीटू नेता ने कहा कि आवास के संदर्भ में जारी 19 पेज का परिपत्र में आवास आवंटन के संदर्भ में जारी किए गए विभिन्न नियमों उप नियमों के साथ-साथ बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज है जिसे सभी कर्मियों को जानना जरूरी है। किंतु यह परिपत्र जारी होने के बाद कर्मी इस परिपत्र में दर्ज बातों को जानने के लिए एक दूसरे से चर्चा कर रहे हैं एवं प्रबंधन द्वारा केवल अंग्रेजी में ही इस परिपत्र को जारी करने पर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।

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अधिकांश कर्मी नहीं समझ पाते हैं अंग्रेजी परिपत्र
सीटू के महासचिव जगन्नाथ त्रिवेदी ने कहा कि संयंत्र में कार्यरत कर्मियों की एक दूसरे से बातचीत करने वाली भाषा हिंदी है। इसीलिए वे हिंदी को अच्छे से समझ एवं पढ़ पाते हैं। किंतु कई बार यह देखने को मिलता है कि प्रबंधन कई महत्वपूर्ण परिपत्र अंग्रेजी में जारी कर देता है, जिन्हें कर्मियों को जानना जरूरी होता है, किंतु अंग्रेजी ना आने के कारण अधिकांश कर्मी उन परिपत्रों को नहीं समझ पाते हैं। इसके कारण कर्मी उन परिपत्रों में दर्ज बातों को नहीं जान पाते हैं एवं उन परिपत्रों का लाभ भी नहीं उठा पाते हैं। इसीलिए अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी परिपत्र का जारी होना भी आवश्यक है।

अजीब विरोधाभास है हिंदी को लेकर प्रबंधन की समझदारी पर
एक तरफ प्रबंधन हिंदी में काम करने का नारा देती है। किंतु जब काम करने की पारी आती है तो प्रबंधन के अधिकांश काम अंग्रेजी में होते हैं। अर्थात हिंदी में व्यवहार करने का नारा देना और अंग्रेजी में व्यवहार करना यही प्रबंधन की भाषा को लेकर समझदारी है। एक तरफ प्रबंधन हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए ना केवल हिंदी विभाग चलाती है, बल्कि अनेकों कार्यक्रम भी संचालित करती है।

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वहीं दूसरी तरफ अधिकांश काम अंग्रेजी में करके अपने ही हिंदी प्रोत्साहित कार्यक्रम की हवा निकाल देती है। प्रबंधन के इस विरोधाभासी रवैया पर सीटू ने पहले भी आपत्ति दर्ज की है, क्योंकि सीटू मानता है कि भाषा दो लोगों के बीच के कम्युनिकेशन अर्थात संचार का माध्यम है यदि प्रबंधन द्वारा कहीं जा रही बातों का कर्मियों तक संचार ही नहीं होगा तो प्रबंधन द्वारा कही गई बात का कोई अर्थ भी नहीं होगा। इसीलिए हिंदी में परिपत्रों को जारी करने को लेकर सीटू द्वारा कही गई बातों को गंभीरता से कर्मियों को लाभ होगा।