अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2025: कल्याण कॉलेज में भारतीय भाषाओं की महत्ता पर महामंथन

International Mother Language Day 2025: Grand brainstorming on the importance of Indian languages ​​in Kalyan College
हिंदी विभाग के निर्देशन में कॉलेज में मना विश्व मातृभाषा दिवस, विभिन्न भाषा-भाषायी क्षेत्र के प्राध्यापकों ने रखे विचार।
  • अंग्रेजी के अंकों तक की स्वीकार्यता तो ठीक है परंतु हिंदी में अगर लेखन हो रहा है या वार्तालाप कर रहे हैं तो आपको रोमन के बजाए देवनागरी लिपि का इस्तेमाल करना चाहिए।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। शिक्षाधानी भिलाई के सेक्टर-7 स्थित कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विश्व मातृभाषा दिवस’ मनाया गया। कॉलेज के हिंदी विभाग के निर्देशन में हुए आयोजन में विभिन्न भाषा और भाषायी क्षेत्र से संबंध रखने वाले प्राध्यापकों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान सभी ने एक सुर में भारत की आंचलिक भाषाओं की महत्ता को रेखांकित किया।

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कल्याण कॉलेज के हिंदी डिजिटल कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में सबसे पहले हिंदी विभाग के अध्यक्ष और वरिष्ठ भाषाविद डॉ.सुधीर शर्मा ने अपनी मातृभाषा छत्तीसगढ़ की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने 21वीं सदी के उन्नत और प्रोन्नत ए.आई और गूगल जैसे शीर्ष तकनीक से होने वाले लाभों को सारगर्भित ढंग से प्रकाश डाला।

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अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष डॉ.अनुराग पाण्डेय ने कहा कि अंग्रेजी जरूर वैश्विक भाषा है लेकिन हिन्दी के बिना चल पाना मुश्किल है। उन्होंने विद्यार्थियों, सहायक प्राध्यापकों, शोधार्थियों और सहकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप मोबाइल या अन्य डिजिटल माध्यम में हिन्दी को भी रोमन लिपि में लिखकर मैसेज भेजते हैं।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के अंकों तक की स्वीकार्यता तो ठीक है परंतु हिंदी में अगर लेखन हो रहा है या वार्तालाप कर रहे हैं तो आपको रोमन के बजाए देवनागरी लिपि का इस्तेमाल करना चाहिए।

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राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ.मणि मेखला शुक्ला ने बताया कि कैसे संगीत शास्त्र, भाषा और विज्ञान के अंतर्संबंधों को रेखांकित किया।

समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ.के.एन.दिनेश ने नई शिक्षा नीति में दी गई क्षेत्रीय और आंचलिक भाषाओं से भावी पीढ़ी को पढ़ने वाले सकारात्मक पहलुओं को इंगित किया।

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कार्यक्रम का संचालन कर रहे हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक और कवि डॉ.अंजन कुमार ने एक पारिवारिक किस्से का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे दुख है, मलाल है कि मैं अपनी मातृभाषा से अनभिज्ञ हूं। इस वजह से मुझे शादी समारोह में रिश्ते में दामाद और दूल्हे से वार्तालाप ही नहीं कर पाया।

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हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ.फिरोजा जाफर अली ने आभार व्यक्त करते हुए उपस्थित जनों से अपनी-अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देने, संवर्धन करने और भावी पीढ़ी तक संप्रेषित करने का अनुरोध किया गया।

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इस दौरान शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ.कविता वर्मा, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहायक प्राध्यापक अंशुल तिवारी, हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक पूजा विश्वकर्मा, प्रियंका शर्मा, पूर्वा शर्मा, तारिणी, नेहा सहित अन्य प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी और महाविद्यालय के कर्मचारी एवं अधिकारी उपस्थित रहे।

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