BSP सेक्टर 9 हॉस्पिटल: बर्न वार्ड देशभर में कमा रहा नाम, कराह रहा यूरोलॉजी-नेफ्रोलॉजी विभाग, ईडी मेडिकल को CITU ने थमाया 29 सुझाव

BSP Sector 9 Hospital: Burn ward is earning name across the country, Urology-Nephrology department is suffering
सुझाव और मांग पत्र कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) एवं कार्यपालक निदेशक (संकार्य) को भी दिया गया। कर्मचारियों से जुड़ा मुद्दा है।
  • बीएसपी अस्पतालों की बदहाली पर ईडी मेडिकल की बेरूखी। 
  • सीटू ने थमाया 29 सुझाव, ईडी वर्क्स को ये कहा। 
  • यूरोलॉजी एवं नेफ्रोलॉजी विभाग का निकले समाधान

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। बीएसपी (BSP) की पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू का कहना है कि हमेशा से ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में अस्पताल प्रबंधन के सामने सुझाव एवं मांग पत्र देते हैं। इसीलिए अस्पताल के संदर्भ में बात करने हेतु प्रबंधन से दिसंबर माह में समय मांगा था।

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किंतु 5 महीना बीत जाने के बाद भी समय न मिलता देख 13 मई को 29 सूत्रीय सुझाव एवं मांग पत्र कार्यपालक निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के नाम से उनके कार्यालय में सौंपा गया। आने वाले दिनों में भी समय-समय पर अस्पताल में बेहतरीन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपनी मांगों एवं सुझावो को अस्पताल प्रबंधन के सामने पेश करता रहेगा।

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यूनियन नेताओं ने सूचनाजी.कॉम (Suchnaji.com) को बताया कि सेक्टर 9 हॉस्पिटल का बर्न वार्ड आज भारत में नाम कमा रहा है। वहीं, इसी अस्पताल का यूरोलॉजी एवं नेफ्रोलॉजी विभाग कराह रहा है। समाधान निकालने का समय आ गया है।

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सीटू मेल से लगातार भेजता रहेगा हर बिंदु पर विस्तृत बात

सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा-सभी बिंदुओं पर यूनियन विस्तार से बात रखना चाहता था। किंतु उस स्थिति पर प्रबंधन द्वारा एक तरफा रोक लगा देने के कारण सीटू अपने द्वारा दिए गए सुझाव एवं मांग पत्र के हर बिंदु पर विस्तार से बात को मेल के द्वारा अस्पताल प्रबंधन तक पहुंचाता रहेगा, ताकि उस पर विचार कर आवश्यकता अनुसार काम किया जा सके।

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सकारात्मक पहल का सीटू ने किया स्वागत

सीटू ने कहा कि पिछले कुछ समय से अस्पताल के अंदर बहुत से स्वागत योग्य कार्य हुए हैं, जिसमें अस्पताल के सभी बिस्तरों तक ऑक्सीजन की सीधी सप्लाई पहुंचाना, बुजुर्ग मरीजों को व्हीलचेयर में बैठाकर ओपीडी एवं वार्ड तक ले जाना, अग्नि दुर्घटना होने की स्थिति में सुरक्षा के इंतजाम, ईसीजी को ग्राउंड फ्लोर पर करवाना आदि प्रमुख है, जिसका सीटू स्वागत करता है।

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स्वतंत्र एवं संयुक्त दोनों बैठकें जरूरी

सीटू नेता अशोक खातरकर ने कहा कि प्रबंधन के स्तर पर यूनियन के साथ स्वतंत्र एवं संयुक्त दोनों बैठक होना बहुत जरूरी है। प्रबंधन संयुक्त बैठक शुरू करवाया है, जिसमें हमेशा समय का अभाव रहता है जिसके कारण यूनियन के द्वारा तर्क के साथ रखी जाने वाली बात पूर्ण नहीं हो पाती है। साथ ही साथ संयुक्त बैठक में प्वाइंट्स स्कोरिंग की स्थिति निर्मित होते रहती है, जिसके कारण कभी-कभी मुद्दे छोटे हो जाते हैं एवं एक दूसरे की बातें कटने लगती है। यह सब अच्छा नहीं है। इसीलिए प्रतिनिधि यूनियनों के साथ स्वतंत्र बैठक करना जरूरी है।

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जॉइंट मीटिंग को ढंग से संचालित तक नहीं करता है प्रबंधन

सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा कि प्रबंधन अलग-अलग यूनियनों से बात करने से बचने के लिए जॉइंट मीटिंग तो बुला लेता है। किंतु उसे किस क्रम में संचालित करना है, अलग-अलग यूनियनों को बोलने के क्रम क्या होंगे, बैठक का एजेंडा क्या होगा एवं बैठक के बाद मिनट्स किस तरह से जारी होगा अथवा जारी ही नहीं किया जाता। इन सबको लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। यहीं सब स्थितियां बैठक को ढंग से संचालित नहीं होने देती है।

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ईडी मानव संसाधन एवं ईडी वर्क्स को भी दिया गया मांग एवं सुझाव पत्र

कार्यपालक निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को दिए गए मांग एवं सुझाव पत्र को कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) एवं कार्यपालक निदेशक (संकार्य) को भी दिया गया, क्योंकि कर्मियों के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े विषय का असर संयंत्र के उत्पादन पर पड़ना स्वाभाविक है।

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इसीलिए ईडी वर्क्स एवं ईडी मानव संसाधन को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में अवगत होना एवं इन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए आवश्यकता अनुसार दखल देना जरूरी है। जब स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होगी, तभी संयंत्र में कार्यरत कर्मियों का दिमाग शांत व प्रसन्नचित रहेगा। वह पूरी सुरक्षा के साथ उत्पादन में अपना योगदान दे पाएगा, जिससे संयंत्र के एथिकल स्टील स्लोगन के हैप्पीनेस का उद्देश्य पूरा होगा।

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