- ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति होते समय कर्मचारी की अंतिम बेसिक का 50% राशि मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता था।
- हर 6 महीने बाद महंगाई भत्ता जुड़ता था।
- नई पेंशन स्कीम में ऐसी कोई गारंटी नहीं है। महंगाई भत्ता नहीं जुड़ता है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सीटू के अखिल भारतीय आह्वान पर बुधवार को पूरे देश में सीटू से संबद्ध यूनियनों द्वारा मांग दिवस मनाया जा रहा है। 10 सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने पेश कर उस पर अमल करने की मांग किया।
मजदूर वर्ग के जीवन को गुलामी से बाहर निकालने की मांग की गई। इस कार्यक्रम के तहत भिलाई में आम बैठक कर मांगों पर चर्चा की गई।
चारों श्रम संहिताओं को रद्द करो, सभी श्रमिकों को 26000 न्यूनतम वेतन दो
सीटू नेताओं ने कहा-जब से मौजूदा केंद्र सरकार 2014 में केंद्र में सत्तासीन हुई है, तभी से मजदूरों के श्रम कानून को खत्म कर 29 श्रम कानून के बदले चार श्रम संहिताओं को लागू करने की बात करती रही है, जिस पर अमल करते हुए पिछले दिनों चार श्रम संहिताओं को लागू किया।
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इसके लागू होते ही मजदूरों को श्रम कानून के तहत मिलने वाले अधिकांश अधिकार लगभग खत्म हो गए। सीटू इन चारों श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांग करती है। चार व्यक्तियों के परिवार के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2400 कैलोरी ऊर्जा के लायक भोजन, सालाना 16 गज कपड़ा, बच्चों की पढ़ाई, 1 बीएचके मकान का किराया, दवाइयां पर होने वाला खर्च, मनोरंजन खर्च एवं सुरक्षित भविष्य के लिए किया जाने वाला न्यूनतम बचत हेतु न्यूनतम 26000 रुपए मासिक की आवश्यकता है। सीटू सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम 26000 रुपए वेतन देने की मांग करती है।
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एनपीएस खत्म करो ओपीएस बहाल करो
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति होते समय कर्मचारी की अंतिम बेसिक का 50% राशि मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता था। हर 6 महीने बाद महंगाई भत्ता जुड़ता था। वहीं, नई पेंशन स्कीम में ऐसी कोई गारंटी नहीं है इसमें महंगाई भत्ता नहीं जुड़ता है। सीटू यह मांग करता है कि नई पेंशन स्कीम रद्द किया जाए एवं ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल किया जाए।
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आईटी एवं आईटीईएस सेक्टर को भी श्रम कानून के दायरे में लाओ
इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एवं इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज में काम करने वाले कर्मचारी भी श्रम कानून के दायरे में रहते हैं। किंतु सरकार ने अधिसूचना जारी कर इन्हें श्रम कानून से छूट दी है अर्थात इन पर श्रम कानून लागू नहीं होंगे यह 8 घंटे से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर होंगे।
सीटू ऐसी कर्मचारी विरोधी अधिसूचना को रद्द करने एवं काम के घंटे को 8 घंटे से ज्यादा बढ़ाने की वैधानिक संशोधन को निरस्त करने की मांग करता है।
भिलाई सीटू करेगा एनईपीपी के खिलाफ संघर्ष
इस मांग दिवस के अवसर पर सीटू नेता ने कहा कि प्रबंधन द्वारा लागू किया गया नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी (Non Executive Promotion Policy) ने ना केवल कर्मियों के सामान्य रूप से हो रहे प्रमोशन पॉलिसी (Promotion Policy) पर हमला किया है, बल्कि कर्मियों को मानसिक रूप से परेशान भी कर रहा है।
इस पॉलिसी में कर्मियों को देने वाला रेटिंग सिस्टम एवं इस पॉलिसी के आड़ में प्रबंधन द्वारा जारी किए गए नए पदनाम, दोनों ही एक तरफा लागू किए गए मजदूर विरोधी निर्णय है इसके खिलाफ ठोस मांगों के साथ सीटू लगातार संघर्ष करेगा। और बहुत जल्द इस संदर्भ में प्रबंधन को पत्र देगा।