BSP कर्मचारियों के लिए जी का जंजाल बना NEPP, 38 माह में 1406 को B और 42 को मिला C रेटिंग, खतरे में प्रमोशन

NEPP has become a big problem for BSP employees, 1406 got B rating and 42 got C rating in 38 months, promotion in danger
जिन अधिकारियों को बी और सी रेटिंग मिलता है, वह अपने ही कर्मचारियों पर गुस्सा उतारते हैं। वे अपनी खीज निकलते हैं।
  • सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी का कहना है कि 25 जून 2021 भिलाई के इतिहास का ब्लैक डे है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल भिलाई स्टील प्लांट (SAIL – Bhilai Steel Plant) के कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर बवाल जारी है। अब इसको लेकर पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू खुलकर सामने आ गया है। यूनियन का कहना है कि जब NEPP को कर्मियों पर लागू करने के लिए विभाग स्तर पर प्रबंधन एवं तत्कालीन मान्यता यूनियन अपना कार्य कर रही थी, तब सीटू ने पूरी ताकत लगाकर इसे रोकने के लिए अभियान चलाया था।

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इसके कारण कई विभागों में 6 माह तक प्रबंधन एवं तत्कालीन मान्यता यूनियन इसे लागू नहीं करवा पाया था। उस समय प्रबंधन एवं तत्कालीन मान्यता यूनियन जोर-जोर से इस बात का प्रचार कर रही थी कि इससे कर्मियों को बहुत ज्यादा लाभ होगा। कार्मिक एवं वर्क्स प्रबंधन ने जोर देकर कहा था कि इसका कोई भी प्रतिकूल असर कर्मियों के प्रमोशन पर नहीं पड़ेगा।

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इसीलिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। उस समय जोर देकर कहने वाले अधिकांश अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं और नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी कर्मियों के जी का जंजाल बन गया है।

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कर्मियों का पीछा नहीं छोड़ रहा है 25 जून 2021 का एग्रीमेंट

सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी का कहना है कि 25 जून 2021 भिलाई के इतिहास का ब्लैक डे है। यह वह समय है जब 6 दिन के लिए एनजेसीएस की ऑनलाइन बैठक चल रही थी, जिसमें सेल के सभी इकाइयों के एनजेसीएस नेता ऑनलाइन बैठक में व्यस्त थे। इसी दौरान तत्कालीन मान्यता प्राप्त यूनियन एवं प्रबंधन के बीच वह मजदूर विरोधी ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसका काला साया कर्मियों का पीछा नहीं छोड़ रहा है। इस एग्रीमेंट को पलटकर ही कर्मियों को राहत दिया जा सकता है।

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NEPP के तहत अगस्त 2024 तक मिला 1406 को बी रेटिंग एवं 42 को सी रेटिंग

सीटू नेता ने बताया कि 25 जून 2021 को नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी NO- MPS/Pers/NEPP/2021/334 का समझौता प्रबंधन एवं तत्कालीन मान्यता प्राप्त यूनियन के बीच हुआ था, जिस पर सीटू नेता ने सूचना के अधिकार के तहत बी एवं सी रेटिंग मिलने वाले कर्मियों की सूची मांगा था।

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प्रबंधन ने 30 जून 2021 से 28 अगस्त 2024 तक बी एवं सी रेटिंग मिलने वाले कर्मियों का आंकड़ा देते हुए बताया कि इन 38 महीना में बी रेटिंग प्राप्त होने वाले कर्मी 1406 हैं एवं सी रेटिंग प्राप्त होने वाले कर्मी 42 हैं।

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अधिकारियों की तरह कर्मियों को नहीं बताया जाता है उनको मिलने वाला रेटिंग

उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी का कहना है कि नियमानुसार किसी कर्मी को क्या रेटिंग दिया गया है। इसकी जानकारी दी जानी चाहिए। अर्थात अधिकारियों की तरह कर्मियों को भी मालूम होना चाहिए कि उसको क्या रेटिंग दी गई है, ताकि वह अपनी रेटिंग को सुधार सके।

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अगले साल रेटिंग को सुधारने की दिशा में बेहतर प्रयास कर सकें, जिससे संयंत्र के उत्पादन में सकारात्मक असर पड़े। किंतु प्रबंधन में कर्मियों को दिए जाने वाले रेटिंग सिस्टम को प्रमोशन से जोड़ का जो खेल शुरू किया है। इसका प्रतिकूल असर उत्पादन एवं संयंत्र पर पड़ना तय है, जिसके लिए चालाकी करने वाला प्रबंधन ही जिम्मेदार है।

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वर्क्स मैनेजमेंट कर्मियों के रेटिंग को प्रमोशन से जोड़ने की पॉलिसी पर लगाए रोक

भिलाई में कर्मियों को रेटिंग देने की पॉलिसी बहुत पहले से है, जिसके अंतर्गत प्रमोशन होने के वर्ष में यदि किसी कर्मी को कम उपस्थिति के कारण सी रेटिंग दिया गया है तो उस कर्मी का प्रमोशन रोक दिया जाता था। किन्तु 25 जून 2021 के समझौता के बाद तत्कालीन मान्यता प्राप्त यूनियन के सहमति से तीन साल की रेटिंग को प्रमोशन एवं अपग्रेडेशन के साथ जोड़ दिया गया है, जो कि संयंत्र के हित में नहीं है।

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इस संदर्भ में सीटू ने कार्यपालक निदेशक संकार्य अर्थात वर्क्स मैनेजमेंट के प्रमुख को पत्र देकर कर्मियों के रेटिंग को प्रमोशन से जोड़ने की पॉलिसी पर रोक लगाने की मांग करेगा।

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अधिकारी ले रहे हैं अपने कर्मियों से बदला

सीटू का कहना है कि यह बात भी संज्ञान में आई है कि जिन अधिकारियों को उनके ऊपर के अधिकारी बी और सी रेटिंग देते हैं। वे अपना खीज निकलते हुए अपने अधीनस्थ कर्मियों में से कुछ को बी एवं सी रेटिंग देते हैं। कुछ अधिकारी अपने व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर भी कर्मियों को रेटिंग देकर उनका अप्रेजल बिगाड़ रहे हैं। इस तरह की प्रवृत्ति न केवल संयंत्र के लिए घातक है, बल्कि संयंत्र के उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर डालने वाला है, जिससे अधिकारियों को बचाना चाहिए।

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