- स्टील मेटल इंजीनियरिंग वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव संजय बढ़ावकर तीन बार डायरेक्टर पर्सनल एवं सेल चेयरमैन से मिलकर एनजेसीएस बैठक की मांग कर चुके। वरना, सेल कारपोरेट आफिस का घेराव।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई श्रमिक सभा एचएमएस यूनियन की बैठक यूनियन कार्यालय सेक्टर 2 में हुई । बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष हरीराम यादव ने की। अध्यक्ष हरिराम यादव और महासचिव प्रमोद कुमार मिश्र ने एनजेसीएस (NJCS) की बैठक ना बुलाए जाने पर आक्रोश व्यक्त किया।
कहा कि स्मेफी (स्टील मेटल इंजीनियरिंग वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) के महासचिव संजय बढ़ावकर द्वारा तीन बार डायरेक्टर पर्सनल एवं सेल (SAIL) चेयरमैन से मिलकर बैठक की मांग की जा चुकी है। लोनावाला (महाराष्ट्र) में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का भी हवाला दिया जा चुका है कि यदि बैठक जल्द नहीं बुलाई जाती है तो यूनियन कारपोरेट ऑफिस का घेराव करेगी और सार्थक निर्णय नहीं हुआ तो यूनियन एमओयू को निरस्त करने की मांग करेगी। यूनियन के सभी पदाधिकारियों ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि जब भी आवश्यकता पड़ेगी हम सब लोग दिल्ली चलेंगे।
यूनियन के महासचिव ने यूनियन द्वारा डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर केंद्रीय रायपुर के समक्ष प्रस्तुत 3 परिवाद के संबंध में हो रही सुनवाई की जानकारी दी।
–बीएसपी (Bhilai Steel Plant) कर्मचारियों को वेतन पर्ची का वितरण
–एलटीसी/एलटीए की एडवांस राशि की पूर्व कटौती का विरोध
–ईपीएस 95 में कर्मचारियों द्वारा अटेस्टेशन फॉर्म की अनिवार्यता समाप्त करने हेतु
-प्रथम प्रकरण वेतन पर्ची देने के संबंध में परिवाद सन 2021में दायर किया गया था। पिछले 6 माह से इसकी सुनवाई टल रही थी। जून-जुलाई माह में इस संबंध में चार बार सुनवाई हुई है।
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वेतन पर्ची कर्मचारी का मौलिक अधिकार है
-हर कर्मचारी के पास कंप्यूटर/प्रिंटर नहीं है, सभी कर्मचारी एंड्राइड मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं करते हैं।
–बीएसपी (Bhilai Steel Plant) प्रबंधन की ओर से हर कर्मचारी को मेल आईडी नहीं दिया गया है।
-जब कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने के अंतिम माह की वेतन पर्ची दी जाती है तो सभी कर्मचारियों को भी दिया जाना चाहिए।
-सेवानिवृत्ति के दिन से ही कर्मचारी का इंटरनेट से आईडी एवं पासवर्ड समाप्त कर दिया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर सेवानिवृत्त कर्मचारी अपने पूर्व वेतन की जानकारी नहीं कर सकते।
-वेतन पर्ची ना देकर प्रबंधन द्वारा इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट 1947 के सेक्शन 9ए का उल्लंघन किया गया है।
जानिए बीएसपी प्रबंधन ने क्या दिया जवाब
-प्रबंधन की ओर से कहा गया कि सभी कर्मचारियों को कंप्यूटर के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है। कर्मचारी इससे संतुष्ट हैं किसी ने शिकायत नहीं की है।
-24 जुलाई को हुई अंतिम सुनवाई में डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर आरके पुरोहित ने प्रबंधन से पूछा कि वेतन पर्ची नहीं देने का कोई सरकारी आदेश यदि हो तो बताएं अथवा किसी यूनियन के साथ में कोई समझौता हुआ हो तो उसकी प्रति प्रस्तुत करने को कहा।
-प्रबंधन ने इसके उत्तर में कोई जवाब प्रस्तुत करने में असफल रहा तथा प्रबंधन द्वारा इस प्रकरण को फेलुवर ऑफ कॉउन्सिलेशन(FOC) का प्रस्ताव रखा।
-वर्तमान में यदि प्रबंधन मान्यता प्राप्त यूनियन से समझौता कर उसकी प्रति डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।
-ऐसा ना होने पर वेतन पर्ची देने की बाध्यता रहेगी। अन्यथा मामला सीजीआईटी में भेज दिया जाएगा।
एलटीसी-एलटीए पर भी आया जवाब
दूसरे प्रकरण एलटीसी/एलटीए में प्रबंधन द्वारा जवाब दिया गया है। यूनियन से जवाब मांगा गया था यूनियन द्वारा इसका जवाब 24 जुलाई को प्रस्तुत कर दिया है। इस प्रकरण में जानकारी देते हुए महासचिव ने बताया कि प्रबंधन ने अपने जवाब में कारपोरेट ऑफिस के एक पत्र का हवाला दिया है, जिसमें प्रबंधन द्वारा स्वयं स्वीकार किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2021-23 के लिए एलटीए एवं एलटीसी नकदीकरण को 24 माह के हिसाब से संपूर्ण राशि को 24 भागों में विभाजित कर प्रत्येक माह की राशि की दर से 18 नवंबर 2021 तक दिया जाना है। प्रबंधन द्वारा इसके लिए एक कैलकुलेशन शीट भी प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार यदि कर्मचारी एलटीए के मद में 43 हजार की राशि आहरित करता है तो उसे प्रति माह 1792 रुपए के दर से 18 नवंबर 2021 तक दिया जाना है।
इसी प्रकार एलटीसी नकदीकरण में प्रतिमाह अधिकतम 537 रुपए का प्रावधान है, जिन कर्मचारियों ने एलटीसी एलटीए की एडवांस राशि नहीं ली है उन्हें भी इसी दर से 18 नवंबर 2021 तक राशि दी जानी है।
लेकिन प्रबंधन अपने ही आदेश का उल्लंघन कर रहा है। पूरी राशि की कटौती कर्मचारियों से की गई है। जिन कर्मचारियों ने एलटीसी एलटीए नहीं लिया है उन्हें कोई भुगतान नहीं किया गया है। अगली सुनवाई में इस पर चर्चा की जाएगी।
ईपीएस-95 के अटेस्टेशन फॉर्म का मुद्दा भी उठा
तीसरे प्रकरण ईपीएस-95 के अटेस्टेशन फॉर्म जिसकी अनिवार्यता 58 वर्ष पूर्ण करने के पश्चात कर्मचारियों के लिए की जाती है। यह उचित नहीं है। यह व्यवस्था उस समय की है जब कर्मचारियों के पास आधार कार्ड एवं पैन कार्ड जैसे पहचान पत्र नहीं होते थे। वर्तमान में इसे समाप्त करने की आवश्यकता है। सबसे ज्यादा समस्या तो कर्मचारी की मृत्यु के उपरांत विधवा पेंशन हेतु कर्मचारी की पत्नी से इस फार्म की मांग की जाती है, जो संभव नहीं होता है। इसके कारण ऐसे कई परिवार पेंशन से वंचित हो जाते हैं।
बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष आदित्य माथुर, उपाध्यक्ष विनोद वासनिक, उप महासचिव वीके सिंह, देव सिंह चौहान, बीजी कारे सचिव रघुवर गोड, सोहन कुमार, अक्षय वर्मा आदि उपस्थित थे।