- खामियों को दूर कर आपदा प्रबंधन को बेहतर बनाने का समुचित प्रयास किया जाना है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र (SAIL Bhilai Steel Plant) के बेहद खतरनाक श्रेणी में आने वाले प्रोपेन प्लांट विभाग (Propane Plant Department) में आपदा प्रबंधन को मजबूती प्रदान करने हेतु मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।
प्रत्येक विभाग में आकस्मिक आपदा से निपटने हेतु कुछ प्रोटोकॉल बनाए जाते हैं। इस प्रोटोकॉल के जांच हेतु समय-समय पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाता है। दुर्घटना के दौरान बचाव कार्य से लेकर दुर्घटना पर काबू पाने जैसे कार्यों को मॉक ड्रिल के माध्यम से बखूबी अंजाम देते हुए, इस योजनाबद्ध अभ्यास को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया।
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मंगलवार सुबह 10.30 बजे अचानक इलेक्ट्रिक शॉक (Electric Shock) लगने के कारण विभाग के तीन कर्मचारी नंदीकेश्वर, मनोहर तथा धर्मेन्द्र बुरी तरह आहत हो गए। विभाग द्वारा तुरंत उस कर्मियों का रेस्क्यू किया गया, मेन मेडिकल पोस्ट (Main Medical Post) में एम्बुलेंस के लिए एवं फायर ब्रिगेड विभाग में अग्निश्मन वाहन हेतु सूचित किया गया।
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साथ ही साथ दुर्घटना की सूचना प्लांट कंट्रोल, सुरक्षा अभियांत्रिकी, सिविल डिफेंस, पर्यावरण विभाग, कार्य प्रबंधक, सीआईएसएफ कंट्रोल, मुख्य महाप्रबंधक (उपयोगिताएँ), मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (अनुरक्षण एवं उपयोगिताएँ), कार्यपालक निदेशक (संकार्य कार्यालय) तथा निदेशक प्रभारी कार्यालय में दी गई।
दुर्घटना स्थल पर अग्निशमन वाहन 5 मिनट एवं एम्बुलेंस 4 मिनट में ही पहुँच गई। आहत व्यक्तियों को उपचार हेतु मेन मेडिकल पोस्ट भेज दिया गया तथा स्थिति पर काबू पा लिया गया। साथ ही कार्यस्थल से सभी 5 कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
मुख्य महाप्रबंधक (उपयोगिताएँ) एके जोशी के निर्देशानुसार प्रोपेन प्लांट के महाप्रबंधक आरपी अहिरवार ने 10 मिनट में स्थिति को सामान्य कर विभाग का कार्य पुनः सामान्य रूप से प्रारंभ कर दिया।
उल्लेखनीय है कि विभागीय ईएमपी में निर्धारित 6 खतरों में एसएसओ, रांची द्वारा सुझाए गए एक नए खतरे इलेक्ट्रिक शॉक को चिन्हित कर उस पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस आपदा प्रबंधन अभ्यास के माध्यम से उन सभी गतिविधियों की क्लोज मॉनिटरिंग की गई और इस दौरान विभिन्न कमियों को भी नोट किया गया। इस सम्पूर्ण अभ्यास का उद्देश्य है आपदा के समय होने वाले आपाधापी व अफरा-तफरी से कैसे बचा जाए, साथ ही इस दौरान प्राप्त खामियों को दूर कर आपदा प्रबंधन को बेहतर बनाने का समुचित प्रयास किया जाना है।
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