Employees Provident Fund Act: कंपनी आपका पैसा कहीं इधर-उधर तो नहीं कर रही…

  • कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 (EPF 1952)
  • कर्मचारी निक्षेप सहबद्ध बीमा योजना 1976 (EDLI 1976)
  • कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS 1995) के प्रावधानों का अनुपालन

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Staff provident fund organization (EPFO)) के सदस्यों के लिए खास खबर है। आपने देखा होगा कि कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों का PF, EPFO में न जमा कराकर खुद अपने बनाए ट्रस्ट के माध्यम से मैनेज करती हैं। आखिर यह क्यों और कैसे होता है, चलिए आज Suchnaji.com आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहा है…।

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कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 (Employees Provident Fund Act 1952) के प्रावधानों के अनुसार ऐसे प्रत्येक प्रतिष्ठान, जिसमें 20 या इससे अधिक कर्मचारी है और जो अधिनियम की सूची एक में वर्णित किसी भी उद्योग में काम करते हैं, उन पर यह अधिनियम लागू होता है। इन सभी प्रतिष्ठानों के लिए अनिवार्य है कि वह अपने कर्मचारियों के संदर्भ में अधिनियम के अंतर्गत निर्मित तीन योजनाओं जैसे

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01) कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 (EPF 1952),

02) कर्मचारी निक्षेप सहबद्ध बीमा योजना 1976 (EDLI 1976) और

03) कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS 1995) के प्रावधानों का अनुपालन करें।

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उन्हें सभी योग्य कर्मचारियों यानी एलिजिबल एम्प्लॉइज का PF और पेंशन अंशदान अन्य प्रभारों के साथ EPFO में जमा कराना होता है।

EPFO से नियोक्ता को मिलता है मौका

EPF एक्ट संभवत: एकमात्र अधिनियम है, जो अपने स्कीमों से बेहतर स्कीम बनाने और लागू करने के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करता है। यदि कोई नियोक्ता यह मंशा रखता है कि वह EPF स्कीम 1952 से बेहतर स्कीम बनाकर उसे अपने कर्मचारियों के लिए लागू करें, जहां उसे EPFO की ब्याज दर से अधिक ब्याज और उससे अधिक सुविधा दे सकें तो वह नियोक्ता EPF अधिनियम की धारा 17 के अंतर्गत एग्जेम्प्शन के लिए आवेदन कर सकता है।

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एक ट्रस्ट गठित करना होगा…

इसके लिए पहले उसे एक ट्रस्ट गठित करना होगा, जिसमें नियोक्ता और कर्मचारियों के नामित प्रतिनिधि ट्रस्टी होंगे और भारत सरकार के आयकर विभाग से मान्यता प्राप्त कराना होगा। उसे एक ऐसी EPF स्कीम बनानी होगी, जिसमें सभी प्रावधान कर्मचारियों के हित में EPF स्कीम 1952 से बेहतर या बराबर लाभकारी हो।

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कर्मचारियों से लिखित रूप में सहमति जरूरी

छूट प्राप्त करने के लिए नियोक्ता को प्रतिष्ठान के बहुमत कर्मचारियों से लिखित रूप में सहमति हासिल करनी होगी। इसके बाद नियोक्ता EPFO छूट के लिए आवेदन कर सकता है।

EPFO में आवेदन की जांच की जाएगी और उचित पाए जाने पर सक्षम प्राधिकारी यानी केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार जैसा लागू हो, द्वारा छूट प्रदान की जाएगी। छूट का आदेश भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है। छूट प्राप्त प्रतिष्ठान को EPF स्कीम 1952 के पैरा 27AA में वर्णित शर्तों का पालन करना होता है।

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EPFO द्वारा ट्रस्ट के कार्य का प्रतिवर्ष ऑडिट

EPFO द्वारा ट्रस्ट के कार्य का प्रतिवर्ष एक अनुपालन ऑडिट किया जाता है। यदि नियोक्ता और ट्रस्ट द्वारा किसी प्रावधान का उल्लंघन किया जाए तो छूट को निरस्त किया जा सकता है। ऐसा होने पर ट्रस्ट को सारा धन और लेखा EPFO में जमा करना पड़ेगा। इसके बाद प्रतिष्ठान गैर छूट प्राप्त प्रतिष्ठान की भांति अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

यह ‘कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम’के अंतर्गत ‘एक्जेम्प्शन यानी छूट’के प्रावधानों की जानकारी थी। suchnaji.com News में पेंशन संबंधी और योजनाओं संबंधित खबरों की अगली कड़ी में आगे हम और विस्तार से बताएंगे।

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