Bhilai Steel Plant में 39 साल गुजारने वाले पूर्व CGM एसएन आबिदी ने सबकुछ किया साझा, पढ़िए डिटेल

  • भिलाई इस्पात संयंत्र के डिजाइन और ड्राइंग विभाग की मदद से, ब्रॉड गेज स्टील स्लीपर और क्रॉसिंग स्लीपर के लिए ड्राइंग विकसित किए गए और इसका उत्पादन प्रारंभ किया गया।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। अनेक पुरुषों और महिलाओं ने अपने सेवा काल के दौरान भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए कड़ी मेहनत की है। इन्हीं में से एक एसएन आबिदी हैं। सय्यद आबिदी जुलाई 2022 को मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (सर्विसेस) के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

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अपने अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि अपनी टीम के साथ विभिन्न चुनौतियां को कैसे पार किया और कुछ निर्णय और कार्यों ने संगठन को कैसे प्रभावित किया। उन्होंने वर्तमान में सेवारत लोगों के लाभ के लिए, अपने कार्यकाल के दौरान प्राप्त अनुभव भी साझा किया। आइये उनसे सुनते हैं उनके विचार।

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पढ़िए प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: सेल-भिलाई स्टील प्लांट (SAIL Bhilai Steel Plant) में आपका लंबा करियर रहा है। आपने अपने करियर के दौरान विभिन्न विभागों/अनुभागों में काम किया है। आपके कार्यक्षेत्र में कई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ आई होंगी, जिन्हें अपने स्वीकार होगा। कृपया अपना कुछ अनुभव साझा करें।

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उत्तर: सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant)में 39 वर्षों से भी अधिक समय में मैंने विभिन्न क्षमताओं में कई विभागों और अनुभागों में काम किया है। मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूं, जो आधुनिकीकरण और विस्तार के दो चरणों के तहत, परियोजनाओं को आकार लेते हुए देखा और संयंत्र के 2.5 मिलियन टन  से 4 मिलियन टन और फिर 4 मिलियन टन से 7 मिलियन टन तक के सफर के साक्षी बने।

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प्रारंभ में, जब संयंत्र की क्षमता 2.5 मिलियन टन से बढ़ाकर 4 मिलियन टन की जा रही थी, तब मुझे प्रोजेक्ट ऑर्गेनाइजेशन में प्रतिनियुक्त किया गया।
इसके बाद, मैंने यातायात विभाग के ट्रैक रखरखाव अनुभाग में काम किया। यहां सबसे बड़ी चुनौती पटरी से उतरने की घटनाओं को कम करना था। संयंत्र के अंदर लगभग पूरे ट्रैक ले-आउट में, ट्रैक बिछाने के लिए लकड़ी के स्लीपरों का उपयोग किया गया था, यहां तक कि एसएमएस-1 के पिटसाइड में भी, जहां लिक्विड स्टील को इनगट में कास्ट किया जाता था।

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दुर्गापुर स्टील प्लांट से स्टील स्लीपर की व्यवस्था की जा रही थी, लेकिन सीमित मात्रा में और प्री स्ट्रेस्ड कांक्रीट स्लीपर भी उपलब्ध नहीं थे, क्योंकि भारतीय रेलवे से इनकी भारी मांग थी।

जब दुर्गापुर स्टील प्लांट (Durgapur Steel plant) ने स्टील ट्रफ स्लीपरों का निर्माण बंद कर दिया, तो लकड़ी के स्लीपरों की अनुपलब्धता थी। तब हमारे सामने यह बड़ी चुनौती थी।

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भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) के डिजाइन और ड्राइंग विभाग की मदद से, ब्रॉड गेज स्टील स्लीपर और क्रॉसिंग स्लीपर के लिए ड्राइंग विकसित किए गए और इसका उत्पादन प्रारंभ किया गया। क्रॉसिंग स्लीपर बार हमारे रेल और स्ट्रक्चरल मिल का एक नियमित उत्पाद बन गया।

इन क्रॉसिंग स्लीपरों से लकड़ी के स्लीपरों और प्री स्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपरों को धीरे-धीरे बदलने के साथ, अब पटरी से उतरने की घटनाएं लगभग शून्य हो गई हैं, जबकि पहले विभिन्न कारणों से प्रतिदिन औसतन 10 दुर्घटनाएं होती थीं।

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प्रश्न: आपने अपने करियर के दौरान विभिन्न क्षमताओं में काम करने का समृद्ध अनुभव प्राप्त किया होगा। भिलाई इस्पात संयंत्र में वर्तमान में समान क्षमताओं में कार्यरत कर्मचारियों के लाभ के लिए आप क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर: मैं भाग्यशाली था, कि मुझे करियर की शुरुआत से ही स्टील मेकिंग प्रक्रिया के साथ जुड़े सहायक सेवाओं के विभिन्न कार्यों, विभागों से अवगत होने का मौका मिला। सेल-बीएसपी में अपने पूरे करियर में, मैंने रेलवे ट्रैक रखरखाव, आंतरिक एवं बाह्य यातायात संचालन एवं लॉजिस्टिक्स, सर्विसेस (सेवा) विभाग प्रमुख एवं संकार्य प्रमुख के लिए सचिवीय सेवाएं, कांट्रैक्ट/अनुबंध प्रबंधन, उत्पादन, योजना और निगरानी विभाग, कच्चे माल प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन विभाग, लागत प्रबंधन, स्क्रैप और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में भी काम किया। इन वर्षों में विभिन्न क्षमताओं और कार्य करने से जो सीख मिली वह है कि “हमेशा चुनौतियों को स्वीकार करें, समाधान अपने आप आपको मिल जाएगा।”

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भिलाईवासियों ने हमेशा अपने-अपने कार्यक्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास किया है। अपनी टीम/विभाग के लीडर के रूप में, आपने अपने विभाग और संयंत्र के लाभ के लिए कुछ पहल की होंगी।

अपने लंबे करियर के दौरान, मैंने पाया कि सामान्य तौर पर भविष्य में जो लीडर बनेंगे उनको अपने संबंधित विभाग या क्षेत्र को चलाने के व्यावसायिक पहलुओं से प्रशिक्षित और परिचित होने की आवश्यकता होती है। इन विषयों पर उन्हें पर्याप्त इनपुट उपलब्ध कराए गए, ताकि जब भी वे संगठन में किसी विभाग या ज़ोन का नेतृत्व संभालें, तो वे व्यावसायिक रूप से मजबूत हो जाएं।

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प्रश्न: क्या आप कुछ उदाहरण साझा कर सकते हैं जहां आपने और आपकी टीम ने कुछ ऐसे कदम उठाए हों?

उत्तर: जब पर्याप्त सपोर्ट सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, तब 7 मिलियन टन मॉडेक्स के तहत नई इकाइयों के दिन-प्रतिदिन के संचालन को सुचारू रूप से चलाने के लिए समय-समय पर एसएमएस-3 का स्लैग प्रबंधन, कास्टर से स्टोरेज यार्ड और फिर यूआरएम तक रेल ब्लूम का स्थानांतरण आदि जैसे उचित कदम उठाये गए। इन सभी पहलों से एसएमएस-3 के साथ-साथ यूनिवर्सल रेल मिल और प्लांट को सामान्य व सुचारू रूप से चलाने में मदद की है।

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प्रश्न: सेल-बीएसपी पिछले कुछ दशकों में विभिन्न मापदंडों में उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। भिलाई में इतना लंबा समय व्यतीत करने के बाद, आप संगठन में अपने व्यक्तिगत योगदान को कैसे देखते हैं?

उत्तर: मैं प्रत्यक्ष व्यक्तिगत योगदान के बारे में नहीं कह सकता, लेकिन मेरे अधिकार क्षेत्र के तहत सर्वोत्तम उपयोग के लिए मेरे पास उपलब्ध संसाधनों को एकत्रित करने हेतु एक टीम के रूप में सफलता प्राप्त करते हुए इस संयंत्र व संगठन में अपना योगदान दिया है।

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प्रश्न: कृपया अपने विचार साझा करें कि जिस शॉप/विभाग में आपने सबसे लंबे समय तक काम किया है, उसका प्रदर्शन कैसे सुधारा जा सकता है?

उत्तर: विभाग में कार्यरत व्यक्तियों को वरिष्ठों द्वारा विकसित प्रणालियों को कायम रखना होगा और उसमें सुधार करना होगा। साथ ही वे जहां भी कार्यरत हो, हमेशा अपने काम में दिलचस्पी और आनंद लेना होगा। यदि व्यक्ति नौकरी का आनंद लेता है और विभाग को अपना समझता है, तो विभाग हमेशा प्रगति करेगा और इसके परिणामस्वरूप बीएसपी भी।

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प्रश्न: यदि आप सेवानिवृत्ति के बाद भिलाई में बस गए हैं, तो क्या आप हमें संक्षेप में बता सकते हैं कि किस कारण से आपको भिलाई में रहना पड़ा?

उत्तर: जीवन की गुणवत्ता, शांतिपूर्ण कार्य वातावरण, सामाजिक-सांस्कृतिक जुड़ाव, हरा-भरा टाउनशिप, चिकित्सा सुविधाएं, मानसिक शांति, अन्य सभी शहरों से कनेक्टिविटी और सुनियोजित शहर – इन सभी ने मुझे भिलाई में रहने के लिए प्रेरित किया।

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