- सेल में अब हड़ताल के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं, प्रचार अंतिम दौर में।
- भिलाई स्टील प्लांट की संयुक्त यूनियन ने की घेराबंदी।
- कर्मचारियों से सीधा संवाद किया जा रहा है।
- कर्मचारियों को हो रहे लाखों रुपए के नुकसान पर हो रही बात।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। दिल्ली में केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त, सेल प्रबंधन और एनजेसीएस यूनियनों के बीच सुलह वार्ता विफल हो चुकी है। इधर-भिलाई स्टील प्लांट की यूनियनों ने पूरी ताकत से हड़ताल को सफल करने का दम भर दिया है।
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28 अक्टूबर को सेल व्यापी हड़ताल का प्रचार अब अंतिम दौर में है। गेटों में पर्चा बांटा जा चुका है। संयंत्र के अंदर एवं बाहर सार्वजनिक स्थानों पर हड़ताल को लेकर पोस्टरिंग की गई है। छोटी-छोटी सभाओं का दौर चल रहा है। कर्मियों से लगातार बातचीत जारी है। सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों में कर्मी हड़ताल को लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं।
संयुक्त यूनियन के पदाधिकारी विभिन्न विभागों में जाकर कर्मियों से मिले, जहां कर्मियों ने खुद आगे बढ़कर कहा कि हम हड़ताल में जरूर शामिल होंगे। हम यह नहीं देखेंगे कि हमारा साथी हड़ताल में शामिल हो रहा है कि नहीं…।
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कर्मी स्वयं से रहेंगे हड़ताल में
यूनियन नेताओं ने बताया कि एक सभा में चर्चा के दौरान कर्मी स्वयं से कहने लगे कि “मैं अक्सर यह देखता था कि मेरा साथी संघर्षों में भाग ले रहे हैं कि नहीं”। यदि वह भाग नहीं लेता था तो मैं भी आंदोलन से कट जाता था। किंतु अब प्रबंधन की मनमानी सारी हदों को पार कर चुकी है। अब यह बात पूरी तरह से समझ आ रही है कि मुझे व्यक्तिगत रूप से लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। ऐसे में मुझे दूसरों को ना देखते स्वयं इस बात को समझने लगा हूं। इसीलिए कोई हड़ताल में रहे चाहे न रहे। मैं स्वयं से हड़ताल में भागीदारी करूंगा।
संघर्षों के गर्भ से निकलती है सफलता
संयुक्त यूनियन ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब जब संघर्ष हुए हैं, उसके गर्भ से सफलता प्राप्त हुई है। प्रबंधन कभी भी स्वयं से एक पैसा भी कर्मियों के हक में जारी नहीं करता है, बल्कि किसी भी तरह से कर्मियों को कम से कम पैसा देना चाहता है। इसीलिए कर्मियों को अपने पैसे हक एवं सुविधाओं के लिए संघर्षों में उतरना पड़ता है और जब-जब संघर्ष सफल होते हैं तब तब प्रबंधन को कर्मियों का हक देने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 28 अक्टूबर की हड़ताल भी इसी आर पार के संघर्ष का हिस्सा है, जिसमें स्वयं से सभी को भागीदारी करना जरूरी है।
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संयुक्त यूनियनों ने कहा आर-पार की लड़ाई है 28 अक्टूबर की हड़ताल
यूनियन का कहना है कि प्रबंधन के मनमानी से कर्मियों के सब्र का बांध टूट चुका है। जब जब दिल्ली में बैठकें होती हैं, यूनियनों एवं कर्मियों को यह आशा बनती है कि प्रबंधन कर्मियों के पक्ष में कोई बेहतर प्रस्ताव पेश करेगा अथवा यूनियनों द्वारा रखे गए ठोस मांगों पर सकारात्मक दिशा में पहल करेगा। किंतु मौजूदा सेल प्रबंधन (SAIL Management) का रवैया पूरी तरह से कर्मचारी विरोधी है, जिसके कारण ना केवल संयंत्र के कर्मचारी परेशान हैं, बल्कि कर्मियों से सीधे काम लेने वाली स्थानीय प्रबंधन भी परेशान है। इसीलिए संयुक्त यूनियनों ने कर्मियों से अपील किया है कि 28 अक्टूबर की हड़ताल आर पार की लड़ाई है, जिसे सभी मिलकर मजबूती से लड़ना है।