- बुजुर्ग अपनी उम्र से आगे निकल चुके हैं।
- उन्हें “ज्ञान” या सलाह नहीं दी जानी चाहिए।
- पेंशनभोगी को लेकिन हमेशा सुझाव दिया जा सकता है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization (EPFO)) और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ पेंशनभोगी हायर और न्यूनतम पेंशन की जंग लड़ रहे हैं। हर स्तर पर आंदोलन हो रहा।
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पेंशनभोगी मोनीश गुहा कहते हैं कि “वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizen)” की आयु 70/75+ है। हर कोई इस उम्र में अधिक निवेश करने या कानूनी रूप से लड़ने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है। और हो सकता है कि वे बार-बार घूमने के लिए शारीरिक रूप से पर्याप्त रूप से फिट न हों…।
आगे कहते हैं कि मैं अक्सर देखता हूं कि लोग आरोप लगाते हैं जो घर पर बैठे हैं और आंदोलन आदि में नहीं जा रहे हैं…।
पेंशनर्स तपन कुमार दास बोले-NAC अपना काम कर रहा है। अन्य संगठन अपना काम नहीं कर रहे हैं।
इसके अलावा किसने कहा कि उम्र संबंधी समस्याओं वाले सभी पेंशनभोगियों (जैसा कि वे सोचते हैं) को न्यायालय जाना चाहिए।
पिछले कुछ वर्षों से मैंने अपनी सभी पोस्ट के खिलाफ कई बेकार टिप्पणियाँ देखी हैं, जबकि मैंने बार-बार कहा है कि मेरी पोस्ट के खिलाफ कोई टिप्पणी आवश्यक नहीं है। इसलिए मैंने उल्लेख किया है कि मेरी पोस्ट सभी के लिए नहीं है।
मोनिश गुहा कहते हैं कि आंदोलन में बुजुर्ग लोग शामिल हैं, जो अपनी उम्र से आगे निकल चुके हैं। उन्हें “ज्ञान” या सलाह नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन हमेशा सुझाव दिया जा सकता है।
तपन कुमार दास ने मोनीश गुहा को संबोधित करते हुए कहा-मुझे किसी को कोई ज्ञान/सलाह देने में कोई दिलचस्पी नहीं है और मैं कभी-कभी असाधारण मामलों में ही सुझाव देता हूँ। मेरी डॉक्यूमेंट्री पोस्ट का मुख्य उद्देश्य लोगों को पेंशन के बारे में जागरूक करना है।
लेकिन इन समूहों के कई लोग अक्सर मेरी सभी पोस्ट के खिलाफ विशेषज्ञ टिप्पणियाँ देते हैं जो न तो सीधे आंदोलन कार्यक्रमों के क्षेत्र में जाते हैं और न ही कानूनी क्षेत्र में जाते हैं और यहाँ तक कि उन्हें इस मुद्दे पर न्यूनतम ज्ञान भी नहीं है।