- अनिर्बान दासगुप्ता ने कहा रिफ्रैक्टरीज में संसाधनों की खपत में कमी का मुद्दा सिर्फ भिलाई इस्पात संयंत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र (SAIL Bhilai Steel Plant) के रिफ्रैक्टरी इंजीनियरिंग विभाग (Refractory Engineering Department) द्वारा आरडीसीआईएस के सहयोग से 6 और 7 मार्च 2024 को भिलाई निवास में आयोजित 65वीं रिफ्रैक्टरी ऑपरेटिंग कमेटी बैठक (आरओसीएम) के समापन समारोह के मुख्य अतिथि, भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता थे।
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इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) अंजनी कुमार, कार्यपालक निदेशक (ऑपरेशंस-सेल) वरिंदर धवन, मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (आयरन) तापस दासगुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक (आरईडी) सुधीर कुमार, महाप्रबंधक (रिफ्रैक्टरी-आरडीसीआईएस) एवं सचिव (आरओसीएम) मनीष कुमार कुजूर उपस्थित थे।
इसके अतिरिक्त, इस्पात बिरादरी के अन्य मुख्य महाप्रबंधक प्रभारीगण, मुख्य महाप्रबंधकगण, महाप्रबंधकगण, वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारीगण सहित सेल और अन्य इस्पात संयंत्रों की विभिन्न इकाइयों से कई रिफ्रैक्टरी ऑपरेटर्स मौजूद थे।
65वीं आरओसी बैठक के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति को बधाई देते हुए अनिर्बान दासगुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा, कि रिफ्रैक्टरीज में संसाधनों की खपत में कमी का मुद्दा सिर्फ भिलाई इस्पात संयंत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है।
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन
इस तरह की सामूहिक चर्चाओं और अनुभव-साझा करने से प्राप्त नवीन प्रथाएं ना केवल अधिक सस्टेनेबल और विशिष्ट लागत प्रभावी रिफ्रैक्टरी ऑपरेशन की सुविधा प्रदान करेंगी, बल्कि हमारे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, संसाधन खपत को कम करने में मदद भी करेंगी। इस तरह भारत में मितव्ययी इस्पात उत्पादन को समर्थन मिलेगा।
प्रारंभ में महाप्रबंधक (रिफ्रैक्टरी-आरडीसीआईएस) एवं सचिव (आरओसीएम) मनीष कुमार कुजूर ने स्वागत भाषण दिया और दो दिवसीय बैठक में आयोजित तकनीकी सत्रों के दौरान प्रस्तुत शोध पत्रों पर रिपोर्ट के रूप में एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। साथ ही चर्चाओं से प्राप्त अंतर्दृष्टि के बारे में भी बताया।
सेल के सभी प्लांट, जेएसपीएल, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू और एनएमडीसी
इस अवसर पर तकनीकी सत्रों के अध्यक्षता कर रहे महानुभावों को अनिर्बान दासगुप्ता द्वारा सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि भारत की विभिन्न इस्पात संयंत्रों दुर्गापुर इस्पात संयंत्र, इस्को बर्नपुर इस्पात संयंत्र, बोकारो इस्पात संयंत्र, राउरकेला इस्पात संयंत्र, एलॉय इस्पात संयंत्र, सेलम इस्पात संयंत्र, आरआईएनएल और सेल की खदानों के साथ-साथ जेएसपीएल, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू और एनएमडीसी सहित भारत के विभिन्न इस्पात इकाइयों के 60 से अधिक प्रतिनिधि और आरईडी-भिलाई इस्पात संयंत्र, आरडीसीआईएस और एसआरयू-भिलाई के लगभग 40 प्रतिभागी इस्पात संयंत्र के रिफ्रैक्टरी इंजीनियर, रिफ्रैक्टरीज क्षेत्र में नई अवधारणाओं पर चर्चा करने, साझा करने और सीखने के लिए के इस दो दिवसीय बैठक में प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
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प्रबंधक (आरईडी) पुष्पेंद्र सिंह और उप प्रबंधक (कार्मिक) शालिनी चौरसिया ने समापन समारोह का संचालन किया तथा महाप्रबंधक (आरईडी) आर गोपाल कृष्णन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
विशिष्ट लागत और विशिष्ट खपत में कटौती पर जोर
इस दो दिवसीय बैठक में भाग ले रहे प्रतिनिधियों द्वारा लगभग 20 तकनीकी शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। यह 65वीं आरओसीएम बैठक भारत की रिफ्रैक्टरी बिरादरी को विशिष्ट लागत और विशिष्ट खपत में कटौती करने के लिए, रिफ्रैक्टरी से सम्बन्धित नई तकनीकें विकसित करने और अपनाने में मदद करेगा, क्योंकि रिफ्रैक्टरी किसी भी इस्पात संयंत्र के लागत मैट्रिक्स पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।