- कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 में वेतनभोगी व्यक्तियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी पेंशन योजना-ईपीएस 1995 (Employees Pension Scheme-EPS 1995) को लेकर एक अच्छी जानकारी सूचनाजी.कॉम साझा करने जा रहा है। अक्सर सवाल पूछा जाता है कि ईपीएस 95 कैसे काम करता है? ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना) में कितना योगदान है? ईपीएफओ (EPFO) कैसे गणना करता है। कर्मचारी पेंशन योजना () से आप क्या समझते हैं? कर्मचारी की पेंशन कैसे बनती है? पेंशन योजना का क्या नियम है? तमाम तरह के सवाल पूछे जाते हैं। आइए, आज हम आपको सही और सटिक जानकारी देते हैं।
ईपीएस 95 (EPS 95) पेंशन कैसे काम करती है, इसे जानिए
पेंशन मामलों के जानकारों के मुताबिक कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 में वेतनभोगी व्यक्तियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, जिन्होंने अपने कामकाजी वर्षों के दौरान ईपीएफ की सदस्यता ली और योगदान दिया था।
यह योजना सुनिश्चित करती है कि कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने पर नियमित मासिक पेंशन मिले। नए ईपीएफ सदस्य और मौजूदा सदस्य दोनों ईपीएस के मासिक पेंशन लाभ का लाभ उठा सकते हैं।
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ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना) में कितना योगदान होता है…
अब आप यह जानिए कि ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना) में कितना योगदान होता है। पेंशनर्स बताते हैं कि कर्मचारी पेंशन योजना एक योगदान-आधारित योजना है और इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों द्वारा किए गए ईपीएफ योगदान का एक हिस्सा शामिल है।
ईपीएफओ कैसे गणना करता है…
कर्मचारी ईपीएफ खाते में हर महीने अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12% तक एक निश्चित प्रतिशत का योगदान करता है। जबकि नियोक्ता खाते में कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते (डीए) का समान रूप से, यानी 12% तक योगदान देता है। मूल वेतन और डीए के 24% के बराबर इस कुल योगदान में से 8.67% ईपीएस में योगदान दिया जाता है और शेष ईपीएफ योजना में योगदान दिया जाता है।