- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए निर्णय के अनुसरण में कार्रवाई के तरीके का सक्रिय रूप से मूल्यांकन करेगा।
- भारत के वर्तमान में 21 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते हैं। ये समझौते इन देशों के कर्मचारियों के लिए पारस्परिक आधार पर निरंतर सामाजिक सुरक्षा कवरेज सुनिश्चित करते हैं।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी गई। सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई हुई। इसके बाद ज्वाइंट ऑप्शन फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी की गई। पैसा जमा कराया गया। लेकिन आज तक पेंशन चालू नहीं हो सकी है। वहीं, दूसरी ओर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के एक फैसले ने ईपीएफओ (EPFO) में हड़कंप मचा हुआ है। सामाजिक सुरक्षा कवरेज की गारंटी आदि को लेकर टिप्पणी की गई है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की तरफ से यह स्पष्ट किया गया है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) द्वारा हाल ही में जारी किए गए निर्णय को महत्व दे रहा है। यह निर्णय कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 के अनुच्छेद 83 और कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के अनुच्छेद 43ए में उल्लिखित अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों के लिए विशिष्ट प्रावधानों से संबंधित है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 के साथ असंगत माना गया था। ईपीएफओ इस निर्णय के अनुसरण में कार्रवाई के तरीके का सक्रिय रूप से मूल्यांकन कर रहा है।
सामाजिक सुरक्षा कवरेज
भारत के वर्तमान में 21 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते हैं। ये समझौते इन देशों के कर्मचारियों के लिए पारस्परिक आधार पर निरंतर सामाजिक सुरक्षा कवरेज सुनिश्चित करते हैं। जब इन देशों के नागरिक एक-दूसरे के क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करते हैं, तो उनका सामाजिक सुरक्षा कवरेज निर्बाध रहता है।
समझौतों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय रोजगार में सामाजिक सुरक्षा कवरेज की गारंटी
इन समझौतों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय रोजगार (international employment) के दौरान कर्मचारियों के निर्बाध सामाजिक सुरक्षा कवरेज की गारंटी देना है। ये समझौते भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को बढ़ावा देने और जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के क्रम में बहुत महत्वपूर्ण हैं। ईपीएफओ ऐसे सामाजिक सुरक्षा समझौतों के लिए भारत में संचालन एजेंसी के रूप में कार्य करता है।