
- पेंशन अंशदान और पेंशन योग्य वेतन को बढ़ाने की बात पूर्व में ही होनी चाहिए थी। पर सरकार नहीं कर सकी।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग की जा रही है। साल बीत रहा, लेकिन उम्मीदों को पंख नहीं लग पा रहा। पेंशनभोगी सनत रावल ने कहा- न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) बढ़ाने के लिए एनएसी आंदोलन के नौ से दस साल पूरे हो गए। फिर भी आज तक न्यूनतम पेंशन स्वीकृत नहीं हुई।
इतनी देरी क्यों? और हमें बजट का इंतज़ार क्यों करना पड़ रहा है? जब एनएसी के साथ सभी बिंदुओं पर चर्चा हो चुकी थी और एनएसी विशेषज्ञ टीम ने सुझाव दिया था कि न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का प्रबंधन कैसे किया जाए।
शेखरमंत्री आदिनारायण ने कहा-कोई दूसरी पार्टी मोदी से सत्ता छीन लेगी और हमारी मांग जस की तस रह जाएगी। प्रकाश जावड़ेकर की मांग कि न्यूनतम पेंशन 3000 रुपये हो और उसे महंगाई भत्ते से जोड़ा जाए। जबकि वह विपक्ष में थे तो ऐसा बोले थे। एक बार फिर भाजपा के विपक्ष में बैठने पर यह मुद्दा सामने आएगा। भाजपा को विपक्ष में देखने के लिए इंतजार करें।
पेंशनर राम शकल गौतम बोले-सब बकवास है। ईपीएस पेंशन (EPS pension) को सुधारने की कोशिश नहीं की गई। कोई आंदोलन नहीं हुआ। सब आपस में बात कर गए। तो अब क्या होगा।
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पेंशन अंशदान और पेंशन योग्य वेतन को बढ़ाने की बात उसी समय होना चाहिए। समय पर टाइम पेंशन रिवीजन की बात थी पर सरकार नहीं कर सकी। अब क्या होगा। मोदी जी की सरकार से कोई भी उम्मीद करना बेकार है। एक सरकार पूजीपतियो और 5 किलो की सरकार है। हिंदू-मुसलमान का एजेंडा चला कर वोट लेने की सरकार है।