- घरेलू इस्पात निर्माताओं के लिए लोकसभा में सवाल पूछे गए।
- इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की शुरूआत।
- घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। घरेलू इस्पात निर्माता (Domestic Steel Manufacturer) को लेकर मोदी सरकार का क्या स्टैंड है। किस तरह की समस्याएं सामने आ रही है और सरकार क्या कर रही है। इस पर लोकसभा में सवाल पूछे गए। इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी ने जवाब दिए।
मंत्री वर्ष 2018-19 से अप्रैल-अक्टूबर 2024-25 तक विभिन्न देशों से आयातित तैयार इस्पात की मात्रा की जानकारी साझा की। इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है। सरकार देश के सभी राज्यों में इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर सुविधा प्रदाता (फसिलिटैटर) के रूप में कार्य करती है।
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सरकार ने 300 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात क्षमता का लक्ष्य हासिल करने और देश में घरेलू इस्पात उत्पादन बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:-
सरकारी खरीद के लिए ‘भारत में निर्मित’ इस्पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू स्तर पर निर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआईएंडएसपी) नीति का कार्यान्वयन।
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देश में ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की शुरुआत की गई है।
स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 29,500 करोड़ रुपये है, जिसमें स्पेशलिटी स्टील के लिए लगभग 25 मिलियन टन (एमटी) की अतिरिक्त क्षमता का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय बजट वर्ष 2024-25 में, फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल है।
कोल्ड-रोल्ड ग्रेन-ओरिएंटेड (सीआरजीओ) स्टील के निर्माण के लिए फेरस स्क्रैप और निर्दिष्ट कच्चे माल पर बीसीडी छूट 31.03.2026 तक जारी रखी गई है।
घरेलू इस्पात उद्योग की समस्याओं को दूर करने के लिए आयात की अधिक प्रभावी निगरानी के लिए इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस) 2.0 का पुनर्गठन।
इस्पात निर्माण के लिए अधिक अनुकूल शर्तों पर कच्चे माल की उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए अन्य देशों के अलावा मंत्रालयों और राज्यों के साथ समन्वय करना।
घरेलू स्तर पर उत्पन्न स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति की अधिसूचना।
इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की शुरूआत, जिसके तहत घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है, साथ ही आयात पर भी रोक लगाई गई है, ताकि उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाता है कि हितधारक उपयोगकर्ताओं को केवल प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वाले इस्पात ही उपलब्ध कराए जाएं। आज की तिथि तक, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के तहत कार्बन स्टील, मिश्र धातु स्टील और स्टेनलेस स्टील को कवर करने वाले 151 भारतीय मानक अधिसूचित हैं।
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